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काशीपुर।26 अगस्त 2024 हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार के बच्चो समेत 72 लोगों को कर्बला के मैदान में मोहर्रम की 10 तारीख को शहीद कर दिया गया था। उन्हीं की याद में हर वर्ष मोहर्रम की 10 तारीख को मोहर्रम किए जाते हैं तथा उसके 40 दिन के बाद चेहलम यानी के चालीसमा किया जाता है। 40 में के दौरान ही चेहल्लुम किए जाते हैं। बता दें कि भारतवर्ष में ही नहीं दुनिया भर में जितने भी देश हैं सभी देशों में लगभग हजरत इमाम हुसैन को और उनके परिवार को याद करते हुए मोहर्रम तथा चेहलम मनाएं जाते है।
सोमवार को काशीपुर में सादगी के साथ मनाया गया। चेहल्लुम मनाने वाले मुस्लिम लोगों ने अलग अलग इलाको में बनाएं गए ताजियों को लेकर अल्ली खा स्थित करबला मैदान पहुंचे जहां नियाज़ और फातिहा की रस्म के बाद ताजियों को दफनाने की रस्म अदायगी हुई। इस दौरान करबला मैदान में काशीपुर कर्बला कमेटी द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए जहां पुलिस प्रशासन की और से सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक चौबंद बनी रही। इस दौरान करबला मैदान में कमेटी अध्यक्ष रफी खान, मोहर्रम कमेटी अध्यक्ष इनाम सिद्दीकी,अब्दुल रशीद नश्तर,पप्पू मंसूरी,परवेज मंसूरी, अली जान,हाजी कमर नईम, अनवार चौधरी आदि मुख्य रूप से शामिल रहे। चेहल्लुम पर्व पर मीडिया को जानकारी साझा करते हुए करबला कमेटी के अध्यक्ष रफी खान ने बताया कि इस्लामिक वर्ष के पहले माह मोहर्रम की 10 तारीख को कर्बला की जंग में नवासा- ए-रसूल इमाम हुसैन को शहीद कर दिया गया था। इस तारीख को उनकी याद में मोहर्रम पर्व मनाए जाने के पश्चात आज शहादते हुसैन के 40 दिन पूरे होने पर मुसलमानों द्वारा चेहल्लुम (चालीसा) मनाया जाता है,जिसमें ताजियों को करबला मैदान में लाकर नियाज़ फातिहा की रस्म के बाद दफीनें की रस्म अदाईगी की गई है और मुस्लिम समाज के लोग इस दिन रोजा रखते हुए रब की इबादत में अपने को सम्मिलित कर अल्लाह को राज़ी करने का प्रयास करते हैं।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
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