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काशीपुर 17 नवंबर 2021 जहां लोग औलाद के लिए दर दर बदर भटकते हैं कभी मंदिरों मैं पूजा अर्चना एवं दरगाहो तथा मस्जिदों में इबादत कर औलाद की प्राप्ति के लिए मन्नत करते हैं कि उन्हें अल्लाह, ईश्वर औलाद दे दे तो कहीं जिन्हें अल्लाह, ईश्वर औलाद देता है वह उस औलाद को कचरे के डिब्बे में या किसी खेत या अन्य जगह पर फेंक देते हैं। क्या इसे मानवता कहा जा सकता है। क्या उस मां को बिल्कुल भी अपने मासूम बच्चे पर दया नहीं आई जो एक नवजात को खेत में फेंक कर गायब हो गई। जब उसे अल्लाह या ईश्वर को मुंह नहीं दिखाना यह बहुत सारे सवाल जो आम जनता चर्चा कर रही हैं और लोग ऐसे लोगों को बददुआ देते दिखाई दिए कि आखिर क्यों ऐसा करते हैं लोग आखिर ऐसी नौबत आती ही क्यों है। आज फिर एक और नया मामला प्रकाश में आया है।
जहां ममता को शर्मसार करने वाली एक मां ने अपने नवजात बच्चे को खेत में मरने के लिए फेंक दिया। मामला ढकिया गुलाबों का है जहां एक खेत में एक नवजात बच्चे को कोई अज्ञात व्यक्ति फेंक कर चला गया। यही नहीं मानवता की सारी हदें पार करते हुए बच्चे के मुंह में कपड़ा भी ठोक रखा था। जिससे कि बच्चे के रोने की आवाज किसी को ना लग सके। अब सवाल यह उठता है कि क्या फेंकने वाले व्यक्ति को यह पता नहीं है कि अल्लाह जिसे जिंदगी देता है उसे मारने वाला कोई दुनिया के अंदर पैदा नहीं हुआ। यह मिसाल इस नवजात बच्चे पर सटीक बैठती है। जहां देर शाम ढकिया गुलाबों निवासी प्रमोद कुमार अपने खेत पर गया था। जहां उसे एक सफेद चादर में कुछ पढ़ा हुआ दिखाई दिया। जब वह नजदीक गया तो उसने देखा उस कपड़े के अंदर कुछ हिल रहा है। कोई चीज हाथ पैर मार रही है जिसे देखकर वह हैरान रह गया और उसने अपने आसपास के लोगों को मौके पर एकत्रित कर लिया। जब लोगों ने मौके पर पहुंचकर कपड़ा हटाया तो देखा कि बच्चे के मुंह पर एक पट्टी बंधी हुई थी। जब लोगों ने मुंह से पट्टी खोली तो देखा कि उसके मुंह में एक कपड़ा भी भरा हुआ था। जिससे उसकी आवाज बाहर ना निकल रही थी लोगों ने उसके मुंह से कपड़ा निकाल कर देखा तो वह बच्चा रोने लगा। बच्चे को रोता देख आसपास के लोगों की भीड़ का जमावड़ा लग गया। तथा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है लोगों में चर्चा है। कि आज के दौर में जिस प्रकार से बच्चे को एक सुनसान जगह पर फेंका गया है। वह कितने निर्दई लोग होंगे जिन्होंने एक नवजात बच्चे को मरने के लिए खेत में फेंक दिया। इसे समाज का डर कहेंगे या लोक लाज कहेंगे फिलहाल इस क्षेत्र में जनता में खूब चर्चा हो रही है।सूचना पर टांडा उज्जैन पुलिस के साथ नवजात को गोद में उठाकर एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल पहुंचा.जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव पुनेठा की निगरानी में स्टाफ नर्स शाजिया और पिंकी कांबोज ने शिशु की सफाई कर नाल काटी और इलाज शुरू किया. इस दौरान बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, स्टाफ ने बच्चे को वॉर्मर पर रखा. ऐसे में धीरे-धीरे नवजात की हालत स्थिर हो गई।डॉ. पुनेठा ने बताया कि शिशु करीब दो बजे अस्पताल पहुंचा था. उस समय उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. वार्मर पर रखकर स्टाफ नर्स उसका इलाज कर रही है. अब शिशु की हालत सामान्य है और उसने दूध पीना भी शुरू कर दिया है. बच्चे का वजन करीब सवा दो किग्रा है, जबकि सामान्य शिशु का वजन ढाई किग्रा होता है।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
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