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काशीपुर। 24 April 2022 समय बलवान होता है ऐसा पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं। समय के साथ साथ लोग धीरे-धीरे सब कुछ भूलते चले जाते हैं। परंतु कुछ राजनैतिक नेता ऐसे होते हैं। जो समय बीत जाने के बाद भी इतिहास के सुनहरे पन्नों पर हमेशा के लिए उनका नाम लिख दिया जाता हैं और उन्हें समाज कभी भूल नहीं पाएगा। जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। जी हां हम आज आपको काशीपुर के एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्होंने काशीपुर की राजनीति में नए आयाम लिखें और इतिहास के पन्नों पर उनका नाम सदैव के लिए अमर हो गया।
समय कैसा भी रहा हो वह जनप्रतिनिधि रहे या ना रहे परंतु उनके फोन की धमक से ही अधिकारियों के पसीने छूट जाते थे। आज इस समय में जनप्रतिनिधि राजनीति में धन कमाने की इच्छा लेकर प्रवेश करते हैं। समाज सेवा भाव बस किताबी पन्नों तक ही सीमित होकर रह गया है। जनप्रतिनिधि किसी का कार्य कराने से पहले उसमें अपना लाभ देखते है कि इस कार्य को कराने से उन्हें लाभ होगा या हानि परंतु काशीपुर में एक ऐसे भी नेता गुजरे हैं। उनके समय में उन्होंने ना कभी अपने बारे में सोचा बल्कि जो व्यक्ति उनके पास समस्या लेकर गया उसकी समस्या का निदान बिना लाभ-हानि देखकर तत्काल किया तभी क्षेत्रीय जनता आज भी उन्हें याद कर आंखें नम कर लेती है। जिन्होंने काशीपुर के विकास के लिए बड़े कार्य किए उन्होंने काशीपुर की राजनीति में जो इतिहास लिखा उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता उनका नाम सदैव इतिहास के पन्नों पर अमर रहेगा। आइए हम आपको उस शख्सियत के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हैं। नैनीताल संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे स्वर्गीय सत्येंद्र चंद्र गुड़िया ने जीवन पर्यंत इमानदार और आदर्श राजनीति की उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया।
भले ही उन्हें इसकी एवज में राजनीतिक हानि भी झेलनी पड़ी वे हमेशा जनसेवा के प्रति समर्पित रहे। और विकास के प्रति दूरदर्शी सोच रखी। जबकि हमारे नेता अपने स्वार्थों के लिए अपनी नैतिकता का भी सौदा कर लेते हैं। मगर सत्येंद्र चंद्र गुड़िया ने नैतिक सिद्धांतों से मरते दम तक समझौता नहीं किया। और अपने उन सिद्धांतों की खातिर आज वे ना होकर भी हमारे बीच जिंदा है। भ्रष्ट हो चुकी राजनीति के कीचड़ में भी वे कमल के फूल की तरह खिलते रहे। उनके रहते कोई काम पेचीदा नहीं था। एक भी ऐसा उदाहरण नहीं होगा। की जनहित के जिस काम को श्री गुड़िया ने चाहा और वह ना हुआ हो अधिक पढ़ें लिखे ना होकर भी वे शिक्षा के प्रति हमेशा समर्पित रहे। और कार्यप्रणाली के रूप में काशीपुर के सरदार पटेल माने जाते थे।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश कुमार एडवोकेट बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में दो विकास पुरुष नेता उत्तराखंड में देखें सर्वप्रथम विकास पुरुष पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी जी थे और दूसरे व्यक्ति जो काशीपुर के विकास के लिए विकास पुरुष माने जाते हैं वह स्वर्गीय सत्येंद्र चंद्र गुड़िया जी थे। दोनों की कमी को कांग्रेश हमेशा महसूस करती रहेगी। हरीश कुमार आगे बताते हैं कि उत्तराखंड में दोनों की एक अनूठी जोड़ी थी दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे विकास का जो खाका तैयार करते थे वह श्री सत्येंद्र चंद्र गुड़िया जी थे जिनके द्वारा काशीपुर के विकास को लेकर नई नई योजनाएं बनाई जाती थी उन्होंने कहा कि कोई कार्य ऐसा नहीं था जिसे श्री गुड़िया पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी जी से कहते और वह काम आसानी से हो जाया करता था उन्होंने कहा कि गुड़िया जी के द्वारा बताए जाने वाले कार्य अति शीघ्र किए जाते थे। उन्होंने कहा कि श्री सत्येंद्र चंद गुड़िया ने जो क्षेत्र में विकास किया उनके जैसा विकास आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा नहीं किया गया है। हरीश कुमार आगे बताते हैं कि गर्ल कॉलेज की शुरुआत काशीपुर में उन्हीं के द्वारा की गई। उन्हीं के द्वारा काशीपुर में चंद्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय की स्थापना की गई जिससे काशीपुर की कन्याओं के लिए शिक्षा का एक बड़ा केंद्र खोला गया जहां से कन्याएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गोविंद बल्लभ पंत इंटर कॉलेज की स्थापना और आईएमटी डिग्री कॉलेज की स्थापना भी उन्हीं के द्वारा की गई। उन्होंने कहा कि श्री गुड़िया जी ने शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य काशीपुर में किये किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा नहीं किए गए।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हकीम रईस अहमद बताते हैं कि काशीपुर की राजनीति में श्री गुड़िया पितामाह थे। उन्होंने बताया कि सन 1980 में श्री गुड़िया पहली बार काशीपुर विधानसभा सीट से विधायक बने थे विधायक बनने के कुछ समय बाद ही काशीपुर में एक बहुत बड़ी गंदगी फैली हुई थी मोहल्ला रजवाड़े में तवायफे नाच गाना करती थी। नगर के लोगों की मांग पर श्री गुड़िया ने सर्वप्रथम नगर के मोहल्ला रजवाड़ा में तवायफ खाना बंद कराया जिससे नगर का माहौल बेहतर हो सका आगे बताते हैं श्री गुड़िया अव्वल तो किसी कार्य के लिए आगे नहीं बढ़ते थे यदि आगे बढ़ते थे तो उस कार्य को करके ही दम लिया करते थे उनकी इस बात की प्रशंसा क्षेत्र में आज भी होती है।
भले ही आज काशीपुर नेताओं की भीड़ हो मगर यह सही है। कि सत्येंद्र चंद्र गुड़िया जैसा नेता ना होने से आज काशीपुर राजनीतिक रूप से खुद को लावारिस समझ रहा है। नेता भले ही कुछ भी दिखाते हो मगर जो गुड़िया जी की डाट और टेलीफोन की बात थी। वह आज भी हमें उनकी याद दिला देती है।
13 दिसंबर 1933 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री किशोरी लाल गुड़िया के घर में जन्मे सत्येंद्र चंद्र गुड़िया काशीपुर क्षेत्र के एक ऐसे नेता रहे जो हमेशा याद किए जाते रहेंगे। उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता वह साफ स्वच्छ राजनीति करते थे। राजनीति और प्रशासनिक मशीनरी पर उनकी जो जोरदार पकड़ थी। उनका आज भी सभी लोहा मानते हैं। यहां तक की इस मामले में उनके राजनीतिक विरोधी भी उनकी प्रशंसा करते हैं। उनकी माता का नाम श्रीमती विद्याधरी गुड़िया था। श्री गुड़िया की प्रारंभिक शिक्षा उदय राज हिंदू इंटर कॉलेज में हुई थी 1952 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
1964 से सन 80 तक वह मंडल एवं काशीपुर नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। 1978 में जब जनता पार्टी सरकार में इंदिरा गांधी को जेल भेजा तो श्री गुड़िया ने उनके विरोध में अपनी माता जी सहित गिरफ्तारी दी थी। और रामपुर जेल में रहे 1980 में वे काशीपुर से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए। और 1982 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के सदस्य भी मनोनीत हुए 1983 में श्री गुड़िया पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन मंडल के सदस्य बने।
तथा 1984 में उत्तर प्रदेश कि नारायण दत्त तिवारी सरकार में उद्योग सिंचाई एवं गन्ना विकास उप मंत्री बने और उसी वर्ष नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद बने। वह कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रबंधन मंडल के सदस्य भी रहे। कुमाऊँ मंडल विकास निगम के निदेशक का भी कार्यभार उन पर रहा।
1986 में श्री गुड़िया जिला नैनीताल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। और पूर्वोत्तर रेलवे परामर्श दात्री समिति इज्जत नगर के सदस्य भी रहे 1987 में उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री गुड़िया को बाजपुर सहकारी शुगर मिल का प्रशासक मनोज किया कांग्रेस की केंद्रीय कमेटी एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। तथा 1996 में तिवारी कांग्रेसमें उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष रहे सन् 2000 में उत्तरांचल किसान कांग्रेस संघर्ष समिति के संयोजक और 2001 में उत्तरांचल कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष मनोनीत हुए।
2004 में श्री गुड़िया को उत्तराखंड कि तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में उत्तरांचल आवास सलाहकार परिषद के चेयरमैन बनाये गये। 2005 में उन्हें ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस आफ इंटेलेक्चुअल्स द्वारा उत्तरांचल रत्न से तथा 2008 में नवचेतना संस्कृति मंच द्वारा नवचेतना गौरव से अलंकृत किया गया।
आर्य प्रतिनिधि सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सर्व देशिक आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तरांचल के प्रधान उत्तरांचल ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष श्री गुड़िया रहे। उन्होंने जीवन पर्याप्त शिक्षा के प्रसार के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। यही कारण है कि वे खुद उदयराज हिंदू इंटर कॉलेज, चंद्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय ,आर्य कन्या इंटर कॉलेज, डीएवी इंटर कॉलेज ,में आर्य समाज काशीपुर के अध्यक्ष तथा भारतीय नव चेतना संस्कृत मंच गौड सभा तीर्थ द्रोणा सागर समिति, वेद बोध मंदिर समिति, जिला हॉकी संघ उधम सिंह नगर, में जिला भारतोलक संघ के संरक्षक रहे। सत्येंद्र चंद्र गुड़िया ऊंची
राजनीतिक पहुंच वाले नेता थे। वह कांग्रेस की केंद्रीय कमेटी में भी रहे। और केंद्रीय नेतृत्व के गुड बुक में भी उनके पिता किशोरी लाल गुड़िया के बुलावे पर पंडित जवाहरलाल नेहरु काशीपुर आए तथा सत्येंद्र चंद्र गुड़िया के बुलावे पर पंडित जवाहर लाल नेहरु की बेटी इंदिरा और उनके पुत्र राजीव गांधी भी काशीपुर आए थे। एक नहीं अनेक केंद्रीय कांग्रेसी नेता भी गुड़िया जी के आमंत्रण पर काशीपुर आए। राजीव गांधी उन्हें बहुत अच्छा मानते थे। और उन्हें पर्वतीय नेता के रूप में विकसित करना चाहते थे।
मगर पंडित नारायण दत्त तिवारी से संबंधों के चलते श्री गुड़िया ने कदम आगे नहीं बढ़ाए। एक बार मौसम खराब हो जाने के कारण जब हेलीकॉप्टर नहीं उड़ सका तो सोनिया गांधी खुद ट्रेन से इनका चुनाव प्रचार करने काशीपुर पहुंची थी। जब बी पी सिंह के नेतृत्व में जनमोर्चा बना तो कांग्रेश के अलग हुए नेताओं सहित अन्य दलों के राष्ट्रीय नेताओं ने भी काफी प्रयास किए थे। कि श्री गुड़िया पंडित नरेंद्र तिवारी को लेकर उनके साथ आए मगर श्री गुड़िया ने पार्टी हित को देखते हुए ऐसा नहीं किया। यह बात अलग है कि तिवारी जी के प्रेम के चलते श्री गुड़िया जिन तिवारी को खुद कांग्रेस में लाए थे।
पंडित नारायण दत्त तिवारी के सहयोग से उन्होंने राजनीति में अपना जो उच्च स्तर बनाया उसकी गरिमा को मरते दम तक बनाए रखा वह अफसरों के पास नहीं बल्कि अपसर उनसे समय लेकर मिलने आते थे जीवन पर्यंत शेर की तरह दहाड़ ने वाले परशुराम स्वरूपी श्री सत्येंद्र चंद्र गुड़िया को जीवन के अंतिम वर्षों में राजनीतिक निराशा मिली और मैं 2002 में गदरपुर से तो 2007 में काशीपुर से विधानसभा चुनाव हार गए मगर उनके राजनीतिक रूप में कभी कमी नहीं आई जिस काम को दूसरे नेता सत्ता में हो कर भी नहीं करा पाते थे उसे गुड़िया सत्ता में ना होकर भी करा देते थे मरते दम तक काशीपुर क्षेत्र की राजनीति के पितामह रहे। जीवन के अंतिम समय में उन्हें कई असहनीय आघात भी पहुंचे और क्रूर काल ने बीमारी से लड़ते श्री गुड़िया को 24 अप्रैल 2010 को हमसे छीन लिया। नहीं लगता कि कोई उनकी कमी को पूरा कर पाए। श्री गुड़िया की याद में प्रतिवर्ष उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है। एस. सी. गुड़िया आई. एम. टी. में सादगी से मनाई गई संस्थापक स्वर्गीय गुड़िया जी की 12वीं पुण्यतिथि बाजपुर रोड स्थित सत्येंद्र चन्द्र गुड़िया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एन्ड लॉ कॉलेज संस्थान के संस्थापक स्वर्गीय गुड़िया जी की पुण्यतिथि सादगी के साथ मनाई गई। इस अवसर पर संस्थान के एकेडमिक कॉउंसिल सदस्य डॉ नीरज आत्रेय, पवन कुमार बक्शी, डॉ निमिषा अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, सुधीर दुबे एवं माधव सिंह तथा उनकी सुपुत्री दीपिका गुड़िया आत्रे ने स्वर्गीय गुड़िया जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रधांजलि दी। सभी ने उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। स्वर्गीय श्री सत्येंद्र चंद्र गुड़िया का नाम राजनीति के इतिहास के पन्नों में हमेशा अमर रहेगा।
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