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उधम सिंह नगर 10 नवंबर 2022 उत्तराखंड के 22 वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर जिला जु–जित्सु एसोसिएशन ऑफ उधम सिंह नगर (रजि) के तत्वावधान एवं जीआरडी इंटरनेशनल स्कूल, रुद्रपुर के सौजन्य से जीआरडी इंटरनेशनल स्कूल के ऑडिटोरियम में एक दिवसीय जु–जित्सू प्रशिक्षण शिविर का आयोजन बुधवार को हुआ। शिविर का शुभारंभ जीआरडी इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन गुरनाम सिंह चावला, वाइस चेयरमैन सतनाम चावला, प्रधानाचार्य ए.जे. बटसर, उप प्रधानाचार्य श्रीमती साधना बटसर, स्पोर्ट्स एचओडी रघु रावत, एवं जिला जु–जित्सु एसोसिएशन के महासचिव सिहान ऋषि पाल भारती द्वारा संयुक्त रूप से सभी खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।
प्रधानाचार्य ए.जे. बटसर ने सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे विद्यालय ने हमेशा अपने छात्रों को एक स्वस्थ और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धी माहौल प्रदान किया है ताकि वे हर क्षेत्र की गतिविधि में विकास कर सकें चाहे वह शिक्षा, खेल या अन्य कोई अतिरिक्त भूमिका हो। ताकि वे अपनी वास्तविक क्षमता की भी पहचान करें। बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा एक उज्जवल भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए हम यहां अपने छात्रों को एक अच्छा वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां वे सभी अच्छे मूल्यों की शिक्षा को प्राप्त कर सकते हैं और हर दिन नई चीजें सीख सकते हैं, साथ ही बच्चो के नेतृत्व के गुण जैसे टीम वर्क, दृढ़ संकल्प, लचीलापन, आत्म-विश्वास और सम्मान आदि जैसे व्यक्तिगत गुणों की भी खोज में ताकि उन्हें समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद मिले। चैयरमैन गुरनाम सिंह चावला ने कहा कि हमारा उद्देश्य बच्चो की प्रतिभाओं को पहचानने व उनमे ऐसे गुण समायोजित करना है, जिनसे न केवल उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि उनकी सफ़लता से हमारे जिले व राज्य एवं देश का नाम भी रोशन होगा। वाइस चेयरमैन सतनाम चावला ने कहा कि सफलता एक रात मे नहीं मिलती, उसके लिए समय लगता है। आपको लगातार प्रयास करना होगा, कठिन परिश्रम करना होगा। और अपने अंदर आत्म – अनुशासन बढ़ाने की जरुरत होगी।
शिविर में जिला जु-जित्सू संघ के महासचिव व प्रशिक्षक सिहान ऋषि पाल भारती एवं सह प्रशिक्षिका सेंपई लवली विश्वकर्मा ने सयुक्त रूप से सभी खिलाड़ियों को जु–जित्सू फाइटिंग इवेंट में इस्तेमाल की जाने वाली विशेष तकनीकों का प्रशिक्षण दिया। महासचिव सिहान ऋषि पाल भारती ने बताया कि जापान के इस खेल का इतिहास करीब 2500 वर्ष पुराना है, जो सिर्फ लॉक्स और थ्रो का ही खेल है इसमें विपक्षी खिलाड़ी को उसी की ताकत में उलझा कर उसे काबू में किया जाता है। जु–जित्सू की शैली में आप जूडो, एकीडो, कराटे की तकनीक देख सकते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि ये सभी मार्शल आर्ट जु–जित्सू से आए है। जु–जित्सू को जुडो, कराटे, एकीड़ो खेलो की जननी भी कहा जाता है।यह खेल ओलिंपिक काउंसिल ऑफ़ एशिया (ओ.सी.ए.) से पूर्ण मान्यता प्राप्त है, तथा गत वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में हुए 18वें एशियन गेम्स में शामिल हो चुका है, यह खेल 2022 के 19वें एशियन गेम्स का भी में हिस्सा बन गया है, एवं भारत सरकार, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स – म्यास) से मान्यता प्राप्त है। जु-जित्सू अब मार्शल आर्ट्स के खिलाडियों के बीच अपनी मजबूत पहचान व लोकप्रियता बनाता जा रहा है, आज यह खेल विश्व स्तर पर होने वाले लगभग सभी बड़े आयोजनों का हिस्सा है। शिविर में जु–जित्सू प्रशिक्षण ले रहे खिलाड़ी उत्साहित और आत्मविश्वास से लबरेज दिखे।शिविर के समापन अवसर पर अमन सिंह, शिवानी, कॉर्डिनेटर हेमलता बिष्ट, शैली मदान, शंकर, हरीश, सहित अन्य विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
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