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जसपुर। 8 जून 2023 इंसान को एक घर बनाने में अपनी आधी जिंदगी बीत जाती है और वह घर 50 वर्ष के बाद में कोई प्रशासनिक अधिकारी आकर यह बताते हुए तोड़ दिया जाए कि वह अवैध रूप से सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किए हुए हैं। तो जरा सोच कर देखिए कि जिस व्यक्ति के पास एक घर के सिवा कुछ और ना हो और अपने जीवन की गाड़ी कमाई उसने उस जगह में लगाकर मकान खड़ा किया हो और उसे प्रशासन यह कहते हुए तोड़ दे कि तुम सरकारी भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण किए हुए हो उन पर क्या बीत रही होगी। आज हम आपको ऐसे ही एक मामले के बारे में बताने जा रहे हैं जहां प्रशासन ने खसरा नंबर 290 का नोटिस देकर खसरा नंबर 287 पर बसे करीब 27 मकानों को तोड़ दिया है जिनमें करीब 40 परिवार अपने बच्चों समेत गुजर-बसर कर रहे थे।सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराए जाने के संबंध में चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत प्रशासन के द्वारा ग्राम पतरामपुर खसरा नंबर 290 बताकर खसरा नंबर 287 में बसे करीब 27 मकानों को प्रशासन के द्वारा नोटिस देने के बाद मकानों को ध्वस्त कर दिया है मकानों में करीब 40 परिवार गुजर बसर कर रहे थे। जिनके पास 2 गज भूमि भी सर छुपाने के लिए नहीं है जो आज न्याय पाने के लिए दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं।
बता दें कि तहसील जसपुर के ग्राम पतरामपुर में उप जिला अधिकारी के द्वारा करीब 28 परिवारों को सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराए जाने के संबंध में नोटिस तामीर कराए गए थे नोटिस देने के पांचवे दिन दिनांक 29 जून 2023 को उप जिला अधिकारी जसपुर तहसील प्रशासन और पुलिस प्रशासन के साथ उप जिला अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर पैमाइश कराने के बाद मौके पर बने 27 मकानों तथा दुकानों को यह बताते हुए ध्वस्त कर दिया कि वह खसरा नंबर 290 पर अवैध रूप से बने हुए हैं और जमीन पर अवैध अतिक्रमण किया हुआ है जिसे हटाने की कार्यवाही की जा रही है। और प्रशासन के द्वारा सभी मकानों को ध्वस्त कर दिया मकानों में करीब 40 परिवार अपने परिवार के साथ गुजर-बसर कर रहे थे हैरत की बात यह है कि जिस जमीन को प्रशासन खसरा नंबर 290 बता रहा है उस जमीन का खसरा नंबर वहां बसे लोग 287 बता रहे हैं ग्रामीणों का कहना है कि वह आबादी में दर्ज 6/2 की भूमि पर कोई 50 वर्षों से रह रहा है तो किसी को 60 वर्ष हो गए हैं रहते हुए इससे पहले कभी भी किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा उन्हें अवैध निर्माण का नोटिस नहीं दिया गया है। जिनके मकान तोड़े गए हैं उनमें सरवन सिंह, दारा सिंह, बगीचा सिंह, गुरमीत सिंह, महेंद्र सिंह ,सुखदेव सिंह ,जयपाल सिंह, भगवती देवी, राहुल सिंह, नजीर अहमद, बलवंत सिंह, नन्हे, सतनाम सिंह, जाकिर हुसैन, शमशाद हुसैन, कश्मीर सिंह, इमामुद्दीन ,आशिक अली, आसमा बेगम ,इस्माइल, गज्जन सिंह, शमीम अहमद, जसवंत सिंह, तिलक सिंह, नजीर अहमद, मनजीत सिंह, कुलदीप सिंह आदि ने बताया कि वह लोग उस समय से रह रहे हैं जब पूरा उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा होता था उन्होंने बताया कि किसी को यहां रहते हुए यहां 50 वर्ष हुए हो गए हैं।
तो किसी को 40 तो किसी को 35 वर्ष बीत चुके हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड बने हुए भी 22 वर्ष बीत चुके हैं। किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा उन्हें कभी नोटिस नहीं दिया गया और अब अचानक यह कहते हुए कि आप हसरत नंबर 290 में अवैध रूप से रह रहे हैं और प्रशासन ने हमारे घरों को बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया। जबकि हम लोग खसरा नंबर 287 में जो की 6/2 आबादी की भूमि में अपने परिवार सहित गुजर-बसर कर रहे थे। वह तो खसरा नंबर 290 में रहते ही नहीं है उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उनके साथ में अन्याय किया है उनके घरों को प्रशासन ने अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया है।
उन्होंने बताया कि वह जिला अधिकारी उधम सिंह नगर से भी मिले थे जिला अधिकारी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच कराते हुए पैमाइश कराएंगे।अब सवाल यह खड़ा होता है क्या बकाई में ग्रामीण जो कह रहे हैं वह सच है। ग्रामीणों ने कहा है कि वह पहले प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं प्रशासन में अगर उनकी नहीं सुनी तो फिर वह उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा एंगे क्योंकि वह जमीन पर उत्तर प्रदेश के जमाने से निवास कर रहे थे। तो वहीं इस मामले मैं जब हमारी उप जिला अधिकारी सीमा विश्वकर्मा से फोन पर बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि ग्रामीण गलत बता रहे हैं कि वह 287 नंबर पर बसे हैं उन्होंने बताया कि ग्रामीण 290 नंबर पर अवैध निर्माण किए हुए थे जिसे हटाया गया है। अब सवाल यहां यह खड़ा होता है कि क्या ग्रामीण सच बोल रहे हैं या प्रशासनिक अधिकारी सच बोल रहे हैं यह तो जांच के बाद ही सच्चाई पता लग सकेगी। जिला अधिकारी उधम सिंह नगर के चार्ज में मुख्य विकास अधिकारी विशाल मिश्रा से फोन पर जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है यदि ग्रामीण उनसे कोई लिखित में शिकायत करते हैं तो वह मामले की निष्पक्ष जांच कराते हुए हैं कार्यवाही करेंगे।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
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