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काशीपुर। 29 अगस्त 2021 सावधान सावधान अगर आप अपने मरीज को केवीआर अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं। तो आपके पास अधिक धन होना अति आवश्यक है नहीं तो डॉक्टर आपके मरीज का उपचार नहीं करेंगे। भले ही आपके पास राज्य सरकार के द्वारा बनाया गया आयुष्मान कार्ड ही क्यों ना हो। धरती पर अगर किसी को भगवान का दर्जा दिया गया है तो वह डॉक्टर हैं। डॉक्टर ही मरीज का उपचार कर उसे दूसरा जीवन देता है। डॉक्टर ही अगर रुपयों की खातिर मरीज का उपचार करना बंद कर दे तो आप कल्पना कर सकते है कि उस मरीज की जिंदगी बचाने के लिए भगवान कोई करिश्मा दिखा दे तो अलग बात है। अन्यथा मरीज की जिंदगी बचाना परिजनों के लिए संभव नहीं रहता। आज हम आपको धरती के भगवान डॉक्टरों के सताए हुए पिता के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने दर्द को बयान करते हुए रोने लगे और कहने लगे कि जिन डाक्टरों को वह भगवान का दर्जा देते थे उन्हीं डॉक्टरों ने अस्पताल में रुपया जमा ना होने के कारण उनके पुत्र का उपचार बंद कर दिया।
यही नहीं इसकी शिकायत जब उन्होंने पुलिस प्रशासन से की तो अस्पताल प्रशासन ने पुलिस की भी नहीं मानी और मरीज को अस्पताल से रेफर कर दिया। और रेफर स्लिप पर लिख दिया कि वह मरीज को अपनी मर्जी से लेकर जा रहे हैं। बता दें कि मामला काशीपुर से मुरादाबाद मार्ग पर स्थित केवीआर अस्पताल का है जहां पर ठाकुरद्वारा मुरादाबाद उत्तर प्रदेश निवासी संजय वर्मा पुत्र अशोक वर्मा मार्ग दुर्घटना से गंभीर रूप से घायल हो गया था परिजनों ने उसे 14 अगस्त की रात्रि को केबीआर अस्पताल सरबरखेड़ा में उपचार के लिए भर्ती कराया था। पिता अशोक वर्मा ने बताया कि जहां पर उनके पुत्र के सिर का ऑपरेशन डॉक्टर पंकज डाबर की रेख देख दिल्ली से आए डॉक्टर ने किया सिर के ऑपरेशन कर के डॉक्टरों ने एक ट्यूब उसके सिर में लगा दी थी। उन्होंने बताया कि उनके पुत्र संजय वर्मा दो-तीन दिन बाद होश में आ गया और वह सब से बातचीत करने लगा। उन्होंने आरोप लगाया कि अगले दिन डॉक्टरों के द्वारा उनके पुत्र के सिर में पडी ट्यूब को अस्पताल में स्टाफ के द्वारा निकाल कर उस जगह पर टेप लगा दिया गया। जिससे उसके पुत्र संजय की हालत गंभीर हो गई उन्होंने बताया कि इस दौरान अस्पताल प्रशासन के द्वारा दवाइयों और जमा धनराशि को लेकर 4 लाख रुपए खर्च हुए उन्होंने बताया कि उनके द्वारा जब डाक्टरों से रुपए जमा करने पर असमर्थता जताई तो उन्होंने उनके पुत्र का उपचार करना बंद कर दिया। जिसकी सूचना उनके द्वारा पुलिस क्षेत्राधिकारी से की गई जिस पर कुंडा थाना पुलिस ने मौके पर जाकर मध्यस्थता कराने का प्रयत्न किया।
परंतु अस्पताल प्रशासन ने पुलिस प्रशासन की भी नहीं मानी और उनके पुत्र का उपचार नहीं किया। अगले दिन अस्पताल प्रशासन ने 1 लाख 90 हजार रुपए जमा करा कर अपने पुत्र को अन्य कहीं उपचार कराने की बात कही पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल में लिखवा लिया कि वह मरीज के ठीक हो जाने के बाद अस्पताल के 1 लाख 90 हजार रुपए जमा कराने के लिए फार्म पर हस्ताक्षर करा लिए इस दौरान केबीआर अस्पताल में मौजूद डाक्टरों ने रेफर सिलिप पर लिख दिया कि वह अपने मरीज को अपनी मर्जी से अस्पताल से लेकर गए हैं। उन्होंने बताया कि जब वह मरीज को दिल्ली लेकर पहुंचे तो कई अस्पतालों में रेफर स्लिप देखने के बाद ही उपचार करने से मना कर दिया जिसके बाद वह सफदरगंज हॉस्पिटल पहुंचे जहां पर उन्होंने बड़ी दिक्कतों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया जहां पर उपचार के दौरान उसके पुत्र संजय वर्मा ने दम तोड़ दिया। मृतक अपने पीछे पत्नी तथा दो छोटे बच्चों को रोता भी लगता छोड़ गया है। तो वही पुलिस क्षेत्राधिकारी अक्षय प्रह्लाद कोड़े से जब मामले की जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास उसके पिता के द्वारा फोन पर सूचना दी गई थी। उन्हें लिखित में प्रार्थना पत्र मिलने के बाद अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
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