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रिपोर्ट पवन वाटल जिला प्रभारी
काशीपुर 15 नवंबर 2021 निरंकारी संत समागम विश्व भर के प्रभु प्रेमियों के लिए खुशियों बड़ा अवसर होता है जहां मानवता का अनुपम संगम देखने को मिलता है। निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता द्वारा संपूर्ण विश्व में सत्य प्रेम एवं एकत्व के संदेश को प्रसारित कर रहा है।जिसमें सभी अपनी जाति, धर्म, वर्ण, रंग, भाषा, वेशभूषा एवं खानपान जैसे भिन्नताओं को भुलाकर आपसी प्रेम एवं मिलवर्तन की भावना को धारण करते हैं।
74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियां इस वर्ष वर्चुअल रूप में पूर्ण समर्पण भाव एवं सजगता के साथ की जा रही है। जिसमें संस्कृति एवं संप्रभुता की बहुरंगी छठा इस वर्ष भी वर्चुअल रूप में दर्शाई जाएगी। यह सभी तैयारियां सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 के निर्देशों को ध्यान में रखकर की जा रही है। इस वर्ष के समागम की तिथियां 27 28 एवं 29 नवंबर 2021 को निर्धारित की गई हैं। इस वर्ष के निरंकारी संत समागम का शीर्षक विश्वास, भक्ति, आनंद विषय पर आधारित है।
जिसमें विश्व भर से वक्ता गीतकार तथा कवि जन अपनी प्रेरक एवं भक्ति में प्रस्तुति व्यक्त करेंगे! विश्वास भक्ति और आनंद आध्यात्मिक जागृति का एक ऐसा अनुपम सूत्र है जिस पर चलकर हम सब परमात्मा का ना केवल साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं अपितु इससे इक मिक भी हो सकते हैं इस सूचना से समस्त साध संगत में जहां हर्षो उल्लास का वातावरण है वही सभी भक्तों ने निरंकार की रजा में रहकर इसे सहज रूप में स्वीकार भी किया है।संपूर्ण समागम का सीधा प्रसारण लाइव टेलीकास्ट मिशन की वेबसाइट पर तथा साधना टीवी चैनल के माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। मिशन के इतिहास में ऐसा प्रथम बार होने जा रहा है, जब वर्चुअल समागम का सीधा प्रसारण किया जा रहा हो। समागम के तीनों दिन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज अपने पावन प्रवचनों द्वारा मानव मात्र को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
इस वर्ष समागम पूर्णता वर्चुअल रूप में आयोजित किया जा रहा है।किंतु इसे जीवंत स्वरूप देने के लिए मिशन द्वारा दिन-रात अथक प्रयास किए जा रहे हैं ताकि जब इसका प्रसारण किया जाए तब इसकी अनुभूति प्रत्यक्ष समागम जैसी ही हो और इस का आनंद प्राप्त कर सकें यह सब सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन द्वारा ही संभव हो पाया है।
जैसा की सर्वविदित है कि मिशन का प्रथम निरंकारी संत समागम सन 1948 में बाबा अवतार सिंह जी की दिव्य उपस्थिति में हुआ।यद्यपि संत निरंकारी मिशन का आरंभ बाबा बूटा सिंह जी के निर्देशन में हुआ जिसे गुरमत का रूप देकर बाबा अवतार सिंह जी ने आगे बढ़ाया। निरंकारी संत समागम को व्यवस्थित सुसज्जित तथा प्रफुल्लित करने का श्रेय युग प्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी को जाता है। तदोपरांत युग दृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी ने न केवल समागम को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया अपितु एकत्व के आधार पर “वसुधैव कुटुंबकम” और दीवार रहित संसार की सोच के साथ “यूनिवर्सल ब्रदरहुड”की पहचान देकर संसार को जाति धर्म वर्ग वर्ण भाषा और देश की विभिन्नताओं से ऊपर अनेकता में एकता का दर्शन कराया। वात्सल्य एवं मातृत्व की साक्षात मूर्ति माता सविंदर हरदेव जी ने एक नए युग का सर्जन किया और युग निर्माता के रूप में प्रकट होकर अपने कर्त्तव्यों को पूर्ण रूप से निभाया। वर्तमान समय में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज नई सोच, एकाग्रता और सामुदायिक सामंजस्य की भावना के साथ इसे आगे से आगे बढ़ा रहे हैं।इस प्रकार निरंकारी संत समागम अनेकता में एकता का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।यह समस्त जानकारी स्थानीय काशीपुर मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
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