Share This Story !
काशीपुर। 14 सितंबर 2022 आखिर हिंदी कब बनेगी राष्ट्रभाषा और राजभाषा इस पर विचार विमर्श करते हुए चर्चा की गई। हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो राष्ट्र भर में पहचानी जाती है परंतु भारत में ही हिंदी भाषा का प्रयोग बहुत कम हो रहा है। सरकारी विभागों से लेकर न्यायालयों तक में हिंदी का प्रयोग नाम मात्र ही है ज्यादातर इंग्लिश का प्रयोग किया जा रहा है यह बात प्रेस को जारी अपने बयानों में समिति अध्यक्ष ने कही। बता दें कि हिंदी दिवस पर जनजीवन उत्थान समिति द्वारा स्वर्गीय सत्येंद्र चंद्र गुड़िया मार्ग में स्थित श्री जगदीश प्रेरणाभवन में हिंदी दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य विषय था हिंदी राजभाषा से राष्ट्रभाषा कब बनेगी। गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर बोलते हुए शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी बोले जाने वाली भाषा है। 1918 के इंदौर अधिवेशन में पहली बार हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की वकालत महात्मा गांधी ने की। 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। प्रश्न यह है की राजभाषा कब राष्ट्रभाषा बनेगी 2022 में लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पांच प्रण भारतीय लोगों को लेने के लिए कहा था जिसमें यह भी था कि दासता का कोई भी चिन्ह रहने नहीं देंगे। इस बात का यह भी आशय था कि अपनी राजभाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सतत प्रयास करना। भाषा केवल संप्रेक्षण ही नहीं करती अपितु मन मानस और संस्कृति का भी निर्माण करती है स्वराज के भाव को जगाने के लिए देश को स्वभाषा हिंदी को स्वीकार कर राष्ट्रभाषा का दर्जा देना होगा। आज राजभाषा के रूप में हिंदी की स्मृति का ऐतिहासिक महत्व है हिंदी भाषा की सरलता और सुगमता राष्ट्र में एक मानवीय एकता के भाव को भी जन्म देती है आज हिंदी दिवस पर हम संकल्प लें कि सभी कार्य अपनी राजभाषा में करें और इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए सब मिलकर सतत प्रयास करें। उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि आज हिंदी भाषा का प्रयोग देशभर में सरकारी विभागों से लेकर न्यायालय तक में कम मात्रा में किया जा रहा है ज्यादातर लोग अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है तो हिंदी को आगे बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा आखिर हिंदी राष्ट्रभाषा और राजभाषा बनेगी। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार एवं न्यायालयों के सरकारी विभागों में जो भी आदेश होते हैं वह अंग्रेजी में होते हैं जबकि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है और सभी आदेश हिंदी में अति आवश्यक है इसके लिए हम सबको एकजुट होकर प्रयास करना होगा और हिंदी का ही प्रयोग करना होगा तभी हमारे देश की असली पहचान हो सकेगी। इस मौके पर भास्कर त्यागी एडवोकेट, रईस अहमद एडवोकेट, जहांगीर आलम एडवोकेट, अमृतपाल एडवोकेट, सीमा शर्मा एडवोकेट, श्रीमती मुमताज, संजीव कुमार एडवोकेट, सैयद आसिफ अली, देवांग मिश्रा, प्रीति शर्मा एडवोकेट आदि लोग उपस्थित थे।
संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र
मुख्य कार्यालय– इस्लामनगर, बसई चौक, थाना कुंडा, काशीपुर, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड 244713
सम्पर्क सूत्र– 99279 76675